Friday, May 31, 2019

क्यों रखें खुद को तम्बाकू सेवन से दूर ?

विश्वभर में आज का दिन अर्थात 31 मई को वर्ल्ड नो टोबैको डे (World No Tobacco Day) के रूप में बनाया जाता है। यह बहुत बड़ी चिंता का विषय है की वर्तमान में युवाओं में तम्बाकू (tobacco) सेवन विशेषकर स्मोकिंग (smoking) का चलन काफी तेज़ी से बढ़ रहा हैl आमतौर पर स्ट्रेस / तनाव को दूर करने के बहाने से धूम्रपान में सबसे प्रचलित विधिसिगरेट (cigarette) का प्रयोग किया जाता है परन्तु इस भागदौड़ वाली जीवनशैली में धूम्रपान अब ना केवल इस तथाकथित तरीके से  तनाव दूर करने बल्कि मनोरंजन और रुबाब का स्त्रोत भी बनता जा रहा हैl युवाओं में सिगरेट के अलावा धूम्रपान के अन्य विकल्पों जैसे की बीड़ी, शीशा/हुक्का, बोंग, सिगार तथा पाइप ने बड़ी तेज़ी से अपनी जगह बना ली है जो की सेहत विशेष कर फेफड़ों के लिए बहुत हानिकारक हैl


Seesah/Hookah a form of consuming nicotine

आरम्भ सिर्फ एक बार सिगरेट के एक कश से शुरू होता है और देखते ही देखते यह दैनिक दिनचर्या का एक अहम हिस्सा बन जाती है, युवाओं को पता ही नहीं चलता और फिर यह एक लत का रूप ले लेती है l धूम्रपान तथा तम्बाकू से होने वाले प्रमुख रोगों में कैंसर मुख्यतः मुँह, पेट और फेफड़ों का कैंसर, दिल की बीमारी, हार्ट अटैक, शारीरिक क्षमता का कम होना, अस्थमा (asthma), डायबिटीज़ (diabetes) यानि की मधुमेहपीले दाँत और सूजे हुए मसूड़ें, आँखों में विकार, ट्यूबरक्लोसिस (टीबी), ह्रदय सम्बन्धी रोग, निकोटिन की लत, दिमागी  दौरा, नपुंसकता आदि  शामिल हैl इन्ही सभी कारणों के चलते सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्थान समय-समय पर तम्बाकू तथा सिगरेट छुड़वाने के लिए नए प्रयास कर रहे है परन्तु मौजूदा हालातों को देखते हुए यह सारे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैl


निकोटीन साबित होता है खलनायक ?


जैसा की हम सब जानते है तम्बाकू में निकोटीन (nicotine) पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है जो की स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता हैl निकोटीन को लत लगाने और नशा पैदा करने वाला सबसे प्रचलित नशीला पदार्थ भी माना जाता हैl क्यूंकि यह एक तरीके का एडिक्टिव सब्सटांस (पदार्थ) (addictive substance) होता है जिसके सेवन से मनुष्य को आनंद प्राप्त होता है, धीरे धीरे इसकी आदत लग जाती है, जिसे छोड़ना अक्सर कठिनमाना जाता हैl ईसी निकोटिन से व्यक्ति का स्वस्थ्य निरंतर ख़राब होता जाता हैl


क्यों मुश्किल बन जाता है है निकोटीन का सेवन बंद करना ?


चूँकि निकोटीन एक एडिक्टिव पदार्थ है इसलिए इसके सेवन से व्यक्ति को एक तरह की सुखद अनुभूति प्राप्त होती हैl इस कारणवश तमाम नुकसानों के बावजूद जब किसी को तम्बाकू छोड़ने के लिए बोला जाता है तो वह हिचकिचाते है क्यूंकि निकोटीन द्वारा प्राप्त सुखद एहसास व्यक्ति को गुजरते समय के साथ मानसिक और शारीरिक रूप से निकोटीन का आदि बना देता है और निकोटीन सेवन बंद करने पर उनको अलग-अलग तरीकों के विथड्रॉल सिम्पटम्स (withdrawal symptoms) जैसे की चिड़चिड़ापन, बेचैनी, थक्कान, नींद ना आना, स्ट्रेस या तनाव, एकाग्रता की कमी आदि से गुज़रना पड़ता हैl यह लक्षण आमतौर पर निकोटीन छोड़ने के दो-चार हफ्ते तक प्रचंड रूप से नज़र आते है और इसलिए निकोटीन का सेवन रोकने में व्यक्ति को समस्याएं होती है  परन्तु अगर व्यक्ति दृढ़ निश्चय कर ले तो धूम्रपान या निकोटीन सेवन को छोड़ा जा सकता है l



कैसे छोड़ें तम्बाकू की लत ?


किसी भी प्रकार की लत को छोड़ना कठिन होता है परन्तु यदि हम दृढ़ निश्चय कर ले तो कठिन से कठिन कार्य को आसानी से पूरा किया जा सकता है और कुछ ऐसा ही तम्बाकू की लत से जूझ रहे व्यक्ति को भी करना चाहिए l यदि वह मानस बना ले की उन्हें तम्बाकू छोड़ना है तो उन्हें अपने विचारों पे अटल रहना पड़ेगा l शुरुवात में यह करना  कई लोगों के लिए बहुत मुश्किल होता हैं और समय समय पर सिगरेट सुलगाने या तम्बाकू के किसी भी अन्य साधन का इस्तेमाल करने का मन करता हैं परन्तु आत्मनिर्णय और दृढ़ता से तम्बाकूl

तम्बाकू छोड़ने के लिए इन आदतों का करें पालन -


1) सबसे ज़रूरी है व्यक्ति द्वारा इस सम्बन्ध में दृढ़ निश्चय बना लेना की उसे तम्बाकू सेवन नहीं करना हैl

2) विशेषज्ञों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति एक दम तम्बाकू छोड़ने में अक्षम है तो किसी भी तौर पर तम्बाकू सेवन के सभी साधनो को एक साथ ना छोड़ेंl एक आदत का एक समय पर धीरे-धीरे काबू पाएंl सिगरेट या तम्बाकू की मात्रा धीरे-धीरे कम करेंl यदि आप दिन में 4 पैकेट सिगरेट पीते है तो पहले 3 पैकेट पर आएं और धीरे धीरे इस मात्रा को और भी कम करेंl याद रखें एक साथ सब छोड़ना बहुत मुश्किल होगा और आपको धैर्य से काम करना पड़ेगा l

3) तम्बाकू सेवन से दूर रहने के लिए च्युइंग गम (chewing gum) खाने से भी सहायता मिलती हैl च्युइंग गम खाने से आपको धूम्रपान या तम्बाकू सेवन करने का मन कम करेगा और आप इस लत से बहार निकल पाएंगेl

4) अपने परिवार तथा मित्रों की सहायता लेl जब भी आपको लगे की तम्बाकू या सिगरेट सेवन करने का मन कर रहा है तो दोस्तों या परिवार के सदस्यों से बात करेंl उनसे बात करने से आपका मन बहलेगा और आप इस आदत से दूर हो पाएंगेl

धूम्रपान को छोड़ने के अनेक उपाय मौजूद है जैसे की कोल्ड टर्की मेथड (Cold Turkey Method) यानि की अचानक से धूम्रपान बंद कर देना l कट डाउन टू क्विट मेथड (Cut Down To Quit Method) यानि की धीरे-धीरे कम करते हुए धूम्रपान छोड़ना l दवाई जैसे की निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरपि (Nicotine Replacement Therapy) की सहायता से धूम्रपान कम करना, हिप्नोसिस (Hypnosis) यानि की सम्मोहन प्रक्रिया, सेल्फ-हेल्प यानि की खुद की मदद करके आदत से छुटकारा पाना, काउंसलिंग (Counselling) आदिl यह व्यक्ति की इच्छाशक्ति तथा पसंद पर निर्भर करता है की उसको कौनसा उपाय करना है या फिर 2-3 उपायों के मेल से धूम्रपान छोड़ने की प्रति कार्य करना है l सारे वक्तव्यों का लब्बोलुबाब यही है की सुखी जीवन अपनाईये, तम्बाकू से नाता तोड़िये।


Disclaimer - 
यहाँ इस ब्लॉग पर दी गयी सूचनाएं विविध विषयों पर जागरूकता का प्रसार करना हैl पाठकों को सलाह दी जाती है की आधिकारिक जानकारी हेतू अपने चिकित्सक से संपर्क करेंl 

Thursday, May 23, 2019

जानिए अपने दवा दोस्त को l

नामी ब्रांड्स की जेनेरिक दवाओं को प्रत्येक जान तक सस्ते दामों पर पहुंचने के उद्देश्य से जेनेरिक दवाओं की फ्रैंचाइज़ी दवा दोस्त को स्थापित किया गया है। गौरतलब हैं कि जेनेरिक दवाएं पेटेंट मुक्त दवाइयां हैं, जो कि खुराक के रूप, सुरक्षा और शक्ति, दवा लेने के तरीके, गुणवत्ता, प्रदर्शन विशेषताओं और इच्छित उपयोग के रूप में पहले से ही उपलब्ध ब्रांड के समान ही बनाई जाती हैं। दवा दोस्त की स्थापना श्री अमित चौधरी और श्री यश हरलालका ने की है।


प्रत्येक नागरिक को सुलभता से सस्ती दवाओं को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जेनेरिक दवाओं के क्षेत्र में, नवाचारी फार्मेसी श्रृंखला दवा दोस्तने हाल ही में राजस्थान के जयपुर में अपने स्टोर्स को लाॅन्च कर दिया है। जयपुर में कंपनी ने एक साथ 6 स्टोर्स लाॅन्च किये है। इन स्टोर्स पर बेहद सस्ती कीमतों पर प्रसिद्ध ब्रांड्स की जेनेरिक दवायें उपभोक्ताओं को उपलब्ध होगी तथा दवा दोस्त से ग्राहकों को उनकी दवाइयों के बिल पर 80 प्रतिशत तक की बचत प्राप्त हो सकेगी। श्री अमित चैधरी और श्री यश हरलालका द्वारा स्थापित दवा दोस्त को अर्नेस्ट एन्ड यंग के एक्स एडवाइसरी लीडर श्री सुनील चंदिरमानी, क्यूमैथ्स के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर श्री गोविन्द राजन, फार्मा क्षेत्र के दिग्गज श्री अमित कासलीवाल, तारा मेडिकोस और उद्योग जगत के प्रमुख हस्तियों का समर्थन प्राप्त है।

दवा दोस्त के बारे में जानकारी देते हुए दवा दोस्त के सीईओ, अमित ने कहा, लगभग 68 प्रतिशत भारतीय आबादी के पास आवश्यक दवाओं तक सीमित या न के बराबर पहुंच है, इसलिए ये दवाएं अक्सर उच्च कीमतों पर उपलब्ध होती हैं। इस अंतर को कम करने और समाज के हर वर्ग तक, प्रसिद्ध ब्रांड्स की ब्रांडेड दवाएं सस्ती कीमतों पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य के अंतर्गत हमने दवा दोस्त स्टोर्स को शुरू करने का फैसला किया हैं, इसके माध्यम से अब हर नागरिक को सुलभ, सस्ती और विश्वसनीय जेनेरिक दवाएं उपलब्ध हो पायेंगी।"

गौरतलब है की सिप्ला, अल्केम, एबॉट, जाइडस, लीफोर्ड आदि जैसे प्रसिद्ध नामों की जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता के साथ, दवा दोस्त यह सुनिश्चित करेगा कि उच्च गुणवत्ता वाली ब्रांडेड जेनेरिक दवाइयां समाज को सुलभता के साथ उपलब्ध कराई जाए ताकि वे अपने चिकित्सा खर्चों में 50 से 80 प्रतिशत तक खर्च में कमी ला सके।

जेनेरिक दवाओं के बारे में समाज को शिक्षित और जागरूक करने के लिए दवा दोस्त की रणनीति के बारे में विस्तार से बताते हुए, दवा दोस्त के सीओओयश हरलालका ने साझा किया किआज भारत में बेची जाने वाली 85-90 प्रतिशत दवाएं जेनेरिक दवाएं हैं और इसलिए उपभोक्ताओं को जेनेरिक दवाओं और उनके बारे में जागरूक करने के लिये, दवा दोस्त ने एक उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रम बनाया है, जिसका नाम ‘‘4 टिक किया क्या?" जिसमें हम उपभोक्ता को ब्रांडेड दवाओं के साथ किसी भी जेनेरिक दवा के मिलान के लिए 4 महत्वपूर्ण कारकों के बारे में बताएंगे। प्रशन के 4 कारक हैं - दवाई का एपीआई/साॅल्ट, शक्ति या चिकित्सा की खुराक, दवा का रूप, खुराक का फॉर्म यानी कि दवा कैप्सूल है या टेबलेट या सिरप/लोशन या दवा का मरहम या दवा जारी करने का पैटर्न अर्थात दवा तेज राहत है या धीमी राहत दवा।

उन्होंने आगे बताया की हमें भरोसा है कि दवा दोस्त ग्राहकों को काफी कम मूल्य पर अच्छी क्वालिटी/ब्रांडेड दवायें पहुंचाने के मिशन पर 200 स्टोर के साथ तथा 1 लाख उपभोक्ताओं के लक्ष्य को जल्द हासिल कर लेगी एवं हमारे उपभोक्ताओं को इससे हर महीने करोड़ों की बचत होगी।

Friday, May 17, 2019

क्यों है हाइपरटेंशन सेहत के लिए घातक ?

प्रत्येक वर्ष 17 मई का दिन वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे (World Hypertension Day) के रूप में मनाया जाता है। आज की इस रफ़्तार भरी जीवनशैली (lifestyle) में  ह्रदय सम्बन्धी रोग होना आम बात हो चुकी है। ह्रदय सम्बन्धी  रोगों में एक आम बीमारी जिसे उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन (Hypertension) या हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) भी कहते हैं, बहुत तेज़ी से फैलती जा रही है। इस बीमारी को साइलेंट किलर (Silent Killer) भी कहा जाता है क्योंकि अधिकतर लोगों को यह पता ही नहीं होता की उन्हें यह बीमारी है। विशेषज्ञों की मानें तो बच्चे भी हाई ब्‍लड प्रेशर के मरीज़ बन सकते हैं। 2017 में यूनियन हेल्थ मिनिस्ट्री (Union Health Ministry) द्वारा नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे  (National Family Health Survey) किया गया जिसमे यह सामने आया की 'हर 8 में से 1 भारतीय हाई ब्लड प्रेशर से ग्रसित है।'


Source - ThinkStockPhoto


क्या होता है हाइपरटेंशन ?



हाइपरटेंशन यानी की उच्च रक्तचाप क्या होता है यह जानने से पहले आइये समझते है ब्लड प्रेशर क्या होता है। हमारे शरीर के सभी ऊतक (tissues) और अंगों (organs) को काम करने के लिए ऑक्सीजनेटेड (oxygenated) ब्लड की ज़रुरत होती है। इस ब्लड को पहुंचाने का  काम हमारा सर्कुलेटरी सिस्टम (circulatory system) करता है। मनुष्य का ह्रदय भी इस सिस्टम का ही एक हिस्सा है। ह्रदय के धड़कने पर एक प्रेशर बनता है जो रक्त को हमारी रक्त वाहिकाएं (blood vessels) में पुश करता है। इसी प्रेशर को ब्लड प्रेशर कहते हैं। जब यही ब्लड प्रेशर ज़रुरत से ज्यादा बढ़ जाता है तो इसे 'हाई ब्लड प्रेशर' या 'हाइपरटेंशन' कहा जाता है।


हाइपरटेंशन होने के  कारण -



आधुनिक जीवनशैली, बढ़ती उम्र, मोटापा, शराब व धूम्रपान हाइपरटेंशन के कुछ प्रमुख कारणों में  से है वहीँ फिजिकल इनैक्टिविटी (physical inactivity) से, नमक का अधिक सेवन करने से, बहुत वसा वाला खाना (High fat diet) खाने से, तनाव (stress) में रहने से भी यह आपको हो सकती है। मधुमेह (Diabetes) अथवा थायराइड (Thyroid) की वजह से भी हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत हो सकती है। गर्भवती  महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होना आम बात है जो की आम तौर पर प्रसव के बाद ठीक हो जाता है।


हाइपरटेंशन के लक्षण -



हाइपरटेंशन की सबसे खतरनाक बात यह है की लोगो को पता ही नहीं चलता की उन्हें यह बीमारी है करीब एक-तिहाई लोगों को हाइपरटेंशन होने की जानकारी नहीं होती और जिन्हें पता चलता भी है वे भी काफी समय निकलने के बाद ही इस बारे में जान पाते हैं कुछ लक्षण जो हाई ब्लड प्रेशर के चलते देखने को मिल सकते हैं उनमें लगातार सरदर्द, थकान या भ्रम, घबराहट या चिंता होना, नज़रों की समस्या, छाती में दर्द, सांस लेने मे तकलीफ, अनियमित दिल की धड़कन, नाक से खून निकलना इत्यादि शामिल है


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हाइपरटेंशन से होने वाले नुकसान -



ब्लड प्रेशर के लगातार बढे रहने से कई समस्याएं खड़ी हो सकती है और इसके वजह से हमारे शरीर के कई अंगों को नुकसान भी पहुंच सकता है इन समस्याओं का मुख्य कारण धमनियों (Arteries) द्वारा अलग अलग अंगों को सही से रक्त न पहुंचा पाना है हाइपरटेंशन के रोगियों को इन निम्नलिखित परेशानियों का सामना करना पड़ता है - दिल का दौरा, स्लीप एपनिया (Sleep Apnea) जिसमे मरीज़ सोते समय कई बार सांस लेना बंद कर देता है, ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) जिसमे हड्डियाँ बिलकुल कमजोर हो जाती हैं, किडनी फेलियर, अनियमित दिल की धड़कन (Arrhythmia), छाती का दर्द (Angina) इत्यादि


हाइपरटेंशन से बचने के उपाय -


हाइपरटेंशन को अपने आप से दूर रखने के लिए हमें इन चीज़ो का सेवन करना चाहिए  -


पोटैशियम (Potassium): इसके लिए आप केला, संतरा, किवी फ्रूट, आलू, राजमा, पालक, दूद, दही, मछलियाँ  इत्यादि का सेवन कर सकते हैं।


कैल्शियम (Calcium): दूध, दही, पनीर, बीन्स, मसूर, हरी पत्तेदार सब्जियां, बादाम, सैलमन मछली इत्यादि का सेवन करने से आपको कैल्शियम मिल सकता है।


मैग्नीशियम : Low Magnesium diet की वजह से भी आपका बीपि  बढ़ सकता है। यह अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियों, सूखे मटर, गोभी और सेम में पाया जाता है। Sea-food में भी यह पर्याप्त मात्रा में मौजूद रहता है।


लहसुन (Garlic): कुछ अध्ययनों  में पाया गया है कि लहसुन खाने से भी ब्लड प्रेशर कम होता है। इसके अलावा ये कुछ प्रकार के कैंसर और कोलेस्ट्रॉल घटाने में भी सहायक है।


फिश ऑयल्स (Fish Oil) : मैकेरल (Mackerel) और सैल्मन (Salmon) जैसी मछलियों में “omega-3 fatty acids” पाया जाता है और इसका सेवन करना उच्च रक्तचाप कम करने में सहायक हो सकता है


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अच्छी आदतें अपनाएं और तनाव को दूर भगाएं -


नियमित कसरत, सही खानपान, अपना वजन सही रख कर, नमक का सेवन कम करके, धुम्रपान / शराब का सेवन ना करने जैसी अच्छी आदतें अपना के भी इस बीमारी को दूर रखा जा सकता है सबसे महत्वपूर्ण है मनुष्य का खुश रहना खुश रहिए और तनाव को दूर भगाइये  

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Monday, May 6, 2019

जानिए कैसे करें अस्थमा से अपना बचाव

समय रहते कराएं अस्थमा का इलाज, यह हैं लक्षण


अस्थमा (दमा) तेजी से एक आम बीमारी की तरह फैलती जा रहा ही है। अस्थमा  फेफड़ों की एक बीमारी है जिसके कारण मरीज़ को सांस लेने में कठिनाई होती है। दरअसल अस्थमा होने पर श्वास नलियों में सूजन आ जाती है जिस कारण श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। श्वसन नली में सिकुडऩ के चलते रोगी को सांस लेने में परेशानी, सांस लेते समय आवाज आना, सीने में जकडऩ, खांसी आदि समस्याएं होने लगती हैं। अस्थमा अटैक से कई बार मरीज की जान भी जा सकती है। इसलिए अस्थमा के इलाज में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।



अस्थमा के कारण 


बाहरी अस्थमा


अस्थमा आमतौर पर दो तरह के होते हैं। बाहरी और आंतरिक अस्थमा। बाहरी अस्थमा एलर्जिकल होता है जो धूल, मिट्टी, धुआं, गर्दा जैसी चीजों से होता है, जिसके प्रभाव में आते ही मरीज को सांस लेने में दिक्कत आती है। इसके अलावा पशु और पक्षियों के परों से निकलने वाले रुएं और धूल से भी बाहरी अस्थमा होता है, जो सांस में एलर्जी पैदा करता है।

आंतरिक अस्थमा


आंतरिक अस्थमा कुछ रासायनिक तत्वों को सांस (श्वसन) द्वारा शरीर में प्रवेश होने से होता है जैसे कि सिगरेट का धुआं, पेंट वेपर्स आदि।

अस्थमा के लक्षण


बलगम वाली खांसी या सूखी खांसी।  सीने में जकडऩ जैसा महसूस होना।  सांस लेने में कठिनाई। सांस लेते समय घरघराहट की आवाज आना।  रात में या सुबह के समय स्थिति और गंभीर हो जाना। ठंडी हवा में सांस लेने से हालत गंभीर होना।  व्यायाम के दौरान स्वास्थ्य और ज्यादा खराब होना।  जोर-जोर से सांस लेना, जिस कारण से थकान महसूस होना। गंभीर स्थिति में कई बार उल्टी लगने की भी संभावना बढ़ जाती है।

अस्थमा के लक्षण 


अस्थमा के प्रमुख कारण


आज के समय में अस्थमा का सबसे बड़ा कारण है प्रदूषण।  कारखानों, वाहनों से निकलने वाले धूएं अस्थमा का कारण बन रहे हैं। सर्दी, फ्लू, धूम्रपान, मौसम में बदलाव के कारण भी लोग अस्थमा की चपेट में आ रहे हैं।

खानपान भी जिम्मेदार


कुछ ऐसे एलर्जी वाले फूड्स हैं जिनकी वजह से सांस संबंधी बीमारियां होती हैं। पेट में अम्ल की मात्रा अधिक होने से भी अस्थमा हो सकता है। इसके अलावा दवाईयां, शराब का सेवन और कई बार भावनात्मक तनाव भी अस्थमा का कारण बनते हैं। अत्यधिक व्यायाम से भी दमा रोग हो सकता है। वहीं  कुछ लोगों में यह समस्या आनुवांशिक होती है।

यूं आते हैं चपेट में


एलर्जिक अस्थमा- एलर्जिक अस्थमा के दौरान आपको किसी चीज से एलर्जी है जैसे धूल-मिट्टी के संपर्क में आते ही आपको अस्थमा हो जाता है या फिर मौसम परिवर्तन के साथ ही आप अस्थमा के शिकार हो जाते हैं। अधिक शारीरिक सक्रियता के कारण अस्थमा हो जाता है तो कई लोग जब अपनी क्षमता से अधिक काम करने लगते हैं तो वे अस्थमा के शिकार हो जाते हैं।
कफ भी अस्थमा का एक प्रमुख कारण होता है। जब आपको लगातार कफ की शिकायत होती है या खांसी के दौरान अधिक कफ आता है तो आपको अस्थमा अटैक पड़ जाता है।

जांच


अस्थमा में खासतौर से फेफड़ों की जांच की जाती है, जिसके अंतर्गत स्पायरोमेट्री, पीक फ्लो और फेफड़ों के कार्य का परीक्षण शामिल है। इसके अलावा बलगम, सांस और फैफड़ो की जांच से भी अस्थमा का पता लगाया जाता है।

उपचार


अस्थमा का उपचार तभी संभव है जब आप समय रहते इसे समझ लें। अस्थमा के लक्षणों को जानकर इसके तुरंत निदान के लिए डॉक्टर के पाए जाएं। अस्थमा के उपचार के लिए इसकी दवाएं बहुत कारगर हो सकती हैं। अस्थमा से निपटने के लिए नाक के माध्यम से दी जाने वाली दवा और अस्थमा नेब्यूलाइजर का भी प्रयोग उपचार में किया जाता है। इसके अलावा सांस का पंप भी मरीज को दिया जाता है, जिसके सहारे मरीज को सांस लेने में आसानी होती है।




बचाव


अस्थमा में इलाज के साथ बचाव की अवश्यकता ज्यादा होती है। अस्थमा के मरीजों को बारिश और सर्दी से ज्यादा धूल भरी  आंधी से बचना चाहिए। बारिश में नमी के बढऩे से संक्रमण की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए खुद को इन चीजों से बचा कर रखें।  ज्यादा गर्म और ज्यादा नम वातावरण से बचना चाहिए। धूल मिट्टी और प्रदूषण से बचें।  घर से बाहर निकलने पर मास्क साथ रखें। यह प्रदूषण से बचने में मदद करेगा।




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दवाइयों का उपयोग दिन - प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है  l  हालांकि कई बार यह शिकायत भी रहती है की डॉक्टर द्वारा लिखी गयी दवाएं असर नहीं कर रही है ...