Monday, May 6, 2019

जानिए कैसे करें अस्थमा से अपना बचाव

समय रहते कराएं अस्थमा का इलाज, यह हैं लक्षण


अस्थमा (दमा) तेजी से एक आम बीमारी की तरह फैलती जा रहा ही है। अस्थमा  फेफड़ों की एक बीमारी है जिसके कारण मरीज़ को सांस लेने में कठिनाई होती है। दरअसल अस्थमा होने पर श्वास नलियों में सूजन आ जाती है जिस कारण श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। श्वसन नली में सिकुडऩ के चलते रोगी को सांस लेने में परेशानी, सांस लेते समय आवाज आना, सीने में जकडऩ, खांसी आदि समस्याएं होने लगती हैं। अस्थमा अटैक से कई बार मरीज की जान भी जा सकती है। इसलिए अस्थमा के इलाज में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।



अस्थमा के कारण 


बाहरी अस्थमा


अस्थमा आमतौर पर दो तरह के होते हैं। बाहरी और आंतरिक अस्थमा। बाहरी अस्थमा एलर्जिकल होता है जो धूल, मिट्टी, धुआं, गर्दा जैसी चीजों से होता है, जिसके प्रभाव में आते ही मरीज को सांस लेने में दिक्कत आती है। इसके अलावा पशु और पक्षियों के परों से निकलने वाले रुएं और धूल से भी बाहरी अस्थमा होता है, जो सांस में एलर्जी पैदा करता है।

आंतरिक अस्थमा


आंतरिक अस्थमा कुछ रासायनिक तत्वों को सांस (श्वसन) द्वारा शरीर में प्रवेश होने से होता है जैसे कि सिगरेट का धुआं, पेंट वेपर्स आदि।

अस्थमा के लक्षण


बलगम वाली खांसी या सूखी खांसी।  सीने में जकडऩ जैसा महसूस होना।  सांस लेने में कठिनाई। सांस लेते समय घरघराहट की आवाज आना।  रात में या सुबह के समय स्थिति और गंभीर हो जाना। ठंडी हवा में सांस लेने से हालत गंभीर होना।  व्यायाम के दौरान स्वास्थ्य और ज्यादा खराब होना।  जोर-जोर से सांस लेना, जिस कारण से थकान महसूस होना। गंभीर स्थिति में कई बार उल्टी लगने की भी संभावना बढ़ जाती है।

अस्थमा के लक्षण 


अस्थमा के प्रमुख कारण


आज के समय में अस्थमा का सबसे बड़ा कारण है प्रदूषण।  कारखानों, वाहनों से निकलने वाले धूएं अस्थमा का कारण बन रहे हैं। सर्दी, फ्लू, धूम्रपान, मौसम में बदलाव के कारण भी लोग अस्थमा की चपेट में आ रहे हैं।

खानपान भी जिम्मेदार


कुछ ऐसे एलर्जी वाले फूड्स हैं जिनकी वजह से सांस संबंधी बीमारियां होती हैं। पेट में अम्ल की मात्रा अधिक होने से भी अस्थमा हो सकता है। इसके अलावा दवाईयां, शराब का सेवन और कई बार भावनात्मक तनाव भी अस्थमा का कारण बनते हैं। अत्यधिक व्यायाम से भी दमा रोग हो सकता है। वहीं  कुछ लोगों में यह समस्या आनुवांशिक होती है।

यूं आते हैं चपेट में


एलर्जिक अस्थमा- एलर्जिक अस्थमा के दौरान आपको किसी चीज से एलर्जी है जैसे धूल-मिट्टी के संपर्क में आते ही आपको अस्थमा हो जाता है या फिर मौसम परिवर्तन के साथ ही आप अस्थमा के शिकार हो जाते हैं। अधिक शारीरिक सक्रियता के कारण अस्थमा हो जाता है तो कई लोग जब अपनी क्षमता से अधिक काम करने लगते हैं तो वे अस्थमा के शिकार हो जाते हैं।
कफ भी अस्थमा का एक प्रमुख कारण होता है। जब आपको लगातार कफ की शिकायत होती है या खांसी के दौरान अधिक कफ आता है तो आपको अस्थमा अटैक पड़ जाता है।

जांच


अस्थमा में खासतौर से फेफड़ों की जांच की जाती है, जिसके अंतर्गत स्पायरोमेट्री, पीक फ्लो और फेफड़ों के कार्य का परीक्षण शामिल है। इसके अलावा बलगम, सांस और फैफड़ो की जांच से भी अस्थमा का पता लगाया जाता है।

उपचार


अस्थमा का उपचार तभी संभव है जब आप समय रहते इसे समझ लें। अस्थमा के लक्षणों को जानकर इसके तुरंत निदान के लिए डॉक्टर के पाए जाएं। अस्थमा के उपचार के लिए इसकी दवाएं बहुत कारगर हो सकती हैं। अस्थमा से निपटने के लिए नाक के माध्यम से दी जाने वाली दवा और अस्थमा नेब्यूलाइजर का भी प्रयोग उपचार में किया जाता है। इसके अलावा सांस का पंप भी मरीज को दिया जाता है, जिसके सहारे मरीज को सांस लेने में आसानी होती है।




बचाव


अस्थमा में इलाज के साथ बचाव की अवश्यकता ज्यादा होती है। अस्थमा के मरीजों को बारिश और सर्दी से ज्यादा धूल भरी  आंधी से बचना चाहिए। बारिश में नमी के बढऩे से संक्रमण की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए खुद को इन चीजों से बचा कर रखें।  ज्यादा गर्म और ज्यादा नम वातावरण से बचना चाहिए। धूल मिट्टी और प्रदूषण से बचें।  घर से बाहर निकलने पर मास्क साथ रखें। यह प्रदूषण से बचने में मदद करेगा।




Disclaimer - 
यहाँ इस ब्लॉग पर दी गयी सूचनाएं विविध विषयों पर जागरूकता का प्रसार करना हैl पाठकों को सलाह दी जाती है की आधिकारिक जानकारी हेतू अपने चिकित्सक से संपर्क करेंl 

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