Monday, April 22, 2019

क्या हैं जेनेरिक दवा?

जेनेरिक दवायें (Generic Medicines) आखिर हैं क्या? क्यों होती है जेनेरिक दवायें सस्ती !


देशभर में स्वास्थय सुविधाओं को आम आदमी की पहुंच में लाने के लिये विभिन्न स्तरों पर काम किये जा रहे है। सरकारी प्रयासों के बावजूद भारत में इलाज़ अभी भी काफी महंगा है और इसमें एक बड़ा खर्च दवाइयों पर होता है। दवाइयों पर होने वाले खर्चों में कमी लाकर जेनेरिक दवा (Generic medicine) नामक शब्द ने घर-घर में अपनी पहचान बना ली है। लेकिन आज भी कई बार यह सवाल उठता है कि क्या जेनेरिक दवाएं कोई खास तरह की दवा है और इसकी कीमत इतनी कम कैसे हो सकती है?




जेनेरिक दवा किस तरह ब्रांडेड दवा (branded medicine) से अलग है ?


जेनेरिक दवाइयों को लेकर समाज में काफी जागरूकता आ रही है वहीं एक बड़ा हिस्सा आज भी यह मान बैठा है कि ब्रांडेड दवा (branded medicine) और जेनेरिक दवा (generic medicine) की क्वालिटी (quality) में कुछ फर्क हो सकता है। जबकि हकीकत में ऐसा कुछ नहीं होता है। दवा कंपनियां बीमारी के इलाज़ को लेकर निरंतर शोध (research) करती है और इसमें सफल होने पर दवा को साॅल्ट (salt) रूप में पंजीकृत (register/patent) कराती है। यही साॅल्ट दवा के रूप में निर्धारित मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है जिसे दवा कंपनियां अपने-अपने ब्रांड्स के रूप में बेचती है, जिसकी कीमत स्वाभाविक रूप से अलग-अलग होती है, कोई ब्रांड मंहगा बिकता है तो कोई सस्ता। लेकिन यह समझना आवश्यक है कि जेनेरिक दवा में भी यह सॉल्ट समान होता है।


पेटेंट दवा (patented medicine) कब बनती है जेनेरिक दवा ?


एक बार पेटेंट की अवधि बीत जाने के बाद कोई भी दवा कंपनी उस साॅल्ट का इस्तेमाल कर सकती है। साॅल्ट का जेनेरिक नाम दुनियाभर में समान होता है और उसी साॅल्ट को दवा कंपनियां जेनेरिक नाम से बेच सकती  है। जेनेरिक दवा और ब्रांडेड दवा की कीमतों में अंतर चैकानें वाला होता है जोकि कई बार 90 प्रतिशत का भी हो जाता है। जी हाँ सही पढ़ा आपने, जेनेरिक दवा, ब्रांडेड दवा की तुलना में 90 प्रतिशत तक सस्ती हो सकती है। यह फर्क पड़ता है ब्रांडेड दवा में जुड़ने वाले कई तरह के खर्चों जैसे, अधिक मुनाफा, प्रमोशन एवं विज्ञापन आदि में।


जेनेरिक दवा की क्वालिटी संदेह से परें ?


जेनेरिक दवाइयों की कीमतें ब्रांडेड दवाइयों की तुलना में बेहद कम होती है इसी कारण उपभोक्तावादी मानसिकता के चलते कई बार लोग यह भ्रम बैठा लेते है कि जेनेरिक दवाइयों की क्वालिटी कुछ कमतर है। इस बारें में सबसे बड़ी कमी है समाज में जागरूकता का अभाव। जेनेरिक दवाइयों की क्वालिटी, साइड इफेक्ट उनका शरीर पर पड़ने वाला प्रभाव बिलकुल समान होता है। जेनेरिक दवाईयां भी किसी भी अन्य ब्रांड की दवाइयों के समान क्वालिटी स्टैण्डर्ड को पास करती है और प्रमाणित की जाती है। इसलिये समय आ गया है कि भारत में जेनेरिक दवाइयों की क्रांति का प्रसार हो, जिससे आम लोगों के इलाज़ के खर्चे मे कमी लायी जा सकें।  


Disclaimer - 
यहाँ इस ब्लॉग पर दी गयी सूचनाएं विविध विषयों पर जागरूकता का प्रसार करना है पाठकों को सलाह दी जाती है की आधिकारिक जानकारी हेतू अपने चिकित्सक से संपर्क करें

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